कैनेडी स्पेस सेंटर (अमेरिका). नासा
के मिशन कंट्रोल रूम को मालूम था कि भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री कल्पना
चावला और उनके साथ लौट रहा दल पृथ्वी पर सुरक्षित नहीं आ पाएगा।
लेकिन अंतरिक्ष यात्रियों को यह
जानकारी नहीं दी गई थी। अंतरिक्ष शटल कोलंबिया के प्रोग्राम मैनेजर रहे वेन
हेल ने घटना के दस साल बाद इसका खुलासा किया है। एक फरवरी 2003 को
कोलंबिया हादसे का शिकार हो गया था।
हेल ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि शटल कोलंबिया में ऐसी खराबी आ गई थी
जिसकी मरम्मत नहीं हो सकती थी।शटल इंटरनेशनल स्पेस सेंटर से भी बहुत दूर
था इसलिए रोबोटिक आर्म से भी खराबी दूर नहीं करवा सकते थे। अमेरिकी न्यूज
चैनल एबीसी के अनुसार हेल एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर
गलती मानी है।
हेल ने लिखा है, मिशन मैनेजमेंट टीम के फ्लाइट डायरेक्टर जॉन हारपोल्ड ने
इस खराबी पर चर्चा की थी। उसने कहा था कि ‘हम टीपीएस थर्मल प्रोटेक्शन
सिस्टम में आई खराबी किसी भी हाल में दूर नहीं कर सकते। अगर यह खराब हो गया
है तो बेहतर है वे इसे न जानें।
मैं सोचता हूं चालक दल को न बताया जाए। क्या आप नहीं सोचते कि उन्हें
प्रसन्न और सफल उड़ान भरने दें और वायुमंडल में प्रवेश के समय अचानक मौत का
आलिंगन करने दें। बजाय इसके कि कक्षा में चक्कर काटने के लिए छोड़ दें। यह
जानते हुए कि वे ऑक्सीजन खत्म होने तक भी कुछ नहीं कर पाएंगे।’
जब यह स्पष्ट हो गया कि शटल टैक्सास के ऊपर टूट कर बिखर गया है, फ्लाइट
डायरेक्टर लेरॉय केन ने कमरे को ताला लगा दिया और सारा कम्प्यूटर डाटा जांच
के लिए सुरक्षित रख लिया। कुछ ही मिनटों में पता चल गया कि शटल में सवार
सातों यात्रियों की मौत हो गई।
इसमें भारतवंशी कल्पना चावला, डेविड ब्राउन, रिक हसबैंड, लॉरेल क्लार्क,
माइकल एंडरसन, विलियम मैकूल और आई रैमन शामिल थे। दल 16 दिन के अंतरिक्ष
अभियान से लौट रहा था। एक फरवरी 2003 को पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते
समय अंतरिक्ष शटल कोलंबिया टूट कर बिखर गया था। उसमें सवार सभी सात
अंतरिक्ष यात्री मारे गए थे।
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